“रसलिङ्गः महालिङ्गं शिवशक्ति निकेतनम् |
लिङ्गः शिवालियमं प्रोक्तं सिद्धिदं सर्व देहिनाम् ||”


अर्थात पारद शिवलिंग श्रेष्ठ शिवलिंग होता है, इसमें भगवान शिव की
शक्तियों का वास होता है, इसलिए इसे शिवालय भी कहा जाता है, इससे
सभी प्राणियों को संपन्नता और सुख की प्राप्ति होती है|
“धर्मार्थकाममोक्षाख्या पुरुषार्थश्चतुर्विधा:
सिद्ध्यन्ति नात्र सन्देहो रसराजप्रसादत:”


अर्थात जो मनुष्य पारद शिवलिंग की एक बार भी पूजन कर लेता है।
उसे इस जीवन में ही धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष इन चारों प्रकार के पुरुषार्थो
की प्राप्ति हो जाती है। इसमें संदेह करने का लेशमात्र भी कारण नहीं है।
  • 26 Nov 2021 Shubh Muhurat

  • Date  : 26 November 2021
  • Temple Timings

  • Monday To Friday

    6PM – 8PM (Starting from Oct 3, 2020)

    Weekends & Holidays

    1PM – 7PM

नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:॥
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम:

  • “ रसात्परतरं लिङ्गं न भूतो न भविष्यति ”

     

    अर्थात पारदेश्वर से श्रेष्ठ शिवलिंग न हुआ है और न होगा|

     

  • “तन्न्मेमनः शिवसंकल्पमस्तु”

     

    हमरा मन कल्याणकारी विचार करने वाला बने |

  • “रसलिङ्गः महालिङ्गं शिवशक्ति निकेतनम्”

     

    अर्थात पारद शिवलिंग श्रेष्ठ शिवलिंग होता है, इसमें भगवान शिव की शक्तियों का वास होता है,

पारद शिवलिंग (रसलिंग) का महत्व

पारद शिवलिंग दर्शन मात्र से ही मोक्ष का दाता है इसके पूजा गृह में रहने मात्र से ही सुयश, आजीविका में सफलता, सम्मान. पद प्रतिष्ठा ऐवम लक्ष्मी का सतत आगमन होता है।

भारतीय संस्कृति का विशिष्टय है कि इसका निर्माण अध्यात्म की सुदृढ़ भित्ती पर उन महर्षियों के द्वारा किया गया है जो की राग – द्वेष से रहित , त्रिकालदर्शी एवं दिव्य दृष्टि सम्पन्न थे | इन्होंने अपनी तपः पूत बुद्धि से दिव्य ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त कर ऐसी युक्तियों का एवं साधनाओं का ज्ञान हमें दिया है जो सामान्य मानव की बुद्धि से परे है |

कोष तो हमारे पास है और चाबी भी है किन्तु आवश्याकता है सद्गुरु एवं ज्ञानदाता की, जो हमें बता दें कि चाबी-ताले में डालकर किस विधि से घुमायें कि कोष कि हाथ लग जावे।

मनुष्य को प्रयत्नों से भौतिक सुख तो प्राप्त हो सकते है किन्तु आत्म बोध ईश्वर की अनुकम्पा से ही सम्भव है।